🎯 कांग्रेस में फिर उठी तरंग: थरूर और खड़गे की जंग का नया अध्याय
नई दिल्ली, 26 जून 2025 – कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर शशि थरूर और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। यह झड़प केवल शब्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि पार्टी की रणनीति, स्वायत्तता और अनुशासन के बीच एक बड़ा सवाल बनकर उभर रही है।
🧭 खड़गे ने साधा तेज निशाना
- 25 जून को खड़गे ने कहा: “हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी‑पहले है।”
- उन्होंने कहा: “उनकी अंग्रेज़ी बहुत अच्छी है, इसलिए उन्हें CWC का सदस्य बनाया।”
यह टिप्पणी थरूर की विचारधारा पर सीधा सवाल था, जिसे कांग्रेस की मुख्य नीति से अलग माना गया।
🕊️ थरूर का रहस्यमयी पलटवार
- थरूर ने X (पूर्व Twitter) पर लिखा: “उड़ने की इज़ाज़त मत मांगो। पंख तुम्हारे, और आसमान किसी का नहीं।”
- Manickam Tagore का जवाब: “आजाद पंछी को भी आसमान में देखना होता है — हॉक, गिद्ध और इगलस शिकारी होते हैं।”
🧩 तहलका क्यों मचा है?
🔹 थरूर के बयान — मोदी की सराहना
- उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” और पीएम मोदी की विदेश नीति की तारीफ की और उन्हें “प्राइम एसेट” बताया।
- थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह बयान पार्टी विरोधी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता के लिए है।
🔹 कांग्रेस का असहज रवैया
- पार्टी ने इसे थरूर की व्यक्तिगत राय बताया।
- खड़गे ने यह भी कहा कि ऐसे बयान पार्टी नीति के विपरीत हैं।
🔹 पार्टी का अंदरूनी तनाव
- केरल की नीलांबूर उपचुनाव में थरूर की अनदेखी से असंतोष बढ़ा।
- KPCC नेताओं ने शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश की, लेकिन पोस्ट्स से तनाव झलक रहा है।
🔍 आगे क्या होगा?
स्थिति | संभावित परिणाम |
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थरूर चुप रहें | घटना को छोटा विवाद मानकर पार्टी आगे बढ़ेगी |
थरूर प्रतिक्रिया जारी रखें | कांग्रेस को अनुशासन और स्वतंत्रता के बीच संतुलन साधना पड़ेगा |
खड़गे का रुख | यह तय करेगा कि पार्टी खुली राय की इजाजत देती है या नहीं |
निष्कर्ष: थरूर और खड़गे की यह बहस केवल व्यक्तियों की लड़ाई नहीं बल्कि कांग्रेस के अंदर वैचारिक विविधता और अनुशासन के बीच चल रही जंग का प्रतीक है। आने वाले समय में यह टकराव पार्टी की दिशा तय कर सकता है।
आपका क्या कहना है? क्या थरूर की स्वतंत्र राय कांग्रेस के लिए फायदेमंद है या चुनौती? नीचे कमेंट करें और पोस्ट को शेयर करें।